'फागुन' के बाद' आजादी की आखिरी जंग से शुरू होकर सन् 56 तक पहुँचता है। 57 अर्थात् सन् 1957, 1857 का जश्न वर्ष था। तब तक लोग निराश नहीं हुए थे। भारत के स्वर्ग बनने की आशा बाकी थी, जनता अपनी सरकार पर विश्वास करती थी।
जश्न-ए-रेख़्ता | 13-14-15 दिसम्बर 2024 - जवाहरलाल नेहरू स्टेडियम, गेट नंबर 1, नई दिल्ली
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