'द्वार नहीं खुले' प्रस्तु पुस्तक में लेखक ने मध्य, निम्न एवं निरंतर स्तर का जीवन जी रहे हैं। साधारण लोगों की मानसिक अनुभूतियों उनके संवेदनों भाव-वर्तुलों संवाद-विसंवादों के सूक्ष्म रेखांकन में अपना अपूर्व रचना कौशल दिखाया है। विशेषकर विवाह और मृत्यु तथा उसके आस पास के कालखंड़ों में उत्पन्न समस्याओं के फलस्वरूप व्यक्ति की मानसिक क्रिया-प्रतिक्रिया की तीव्रता को अभिव्यक्ति प्रदान की है।
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