यह शिवपूजन सहाय जी द्वारा ग्रामीण पृष्ठभूमि पर रचा गया उपन्यास है जिसमें गांव की सामजिक व्यवस्था, उसकी प्रकृति और सौंदर्य को बहुत ही सुंदर ढंग से गढ़ा गया है।
शिवपूजन सहाय का जन्म 9 अगस्त 1893 को बिहार के भोजपुर ज़िले के उनवाँस गाँव में हुआ। उनका नाम भोलानाथ रखा गया। दसवीं की परीक्षा पास करने के बाद वह बनारस की अदालत में नक़लनवीस की नौकरी करने लगे, फिर अध्यापन के पेशे से संलग्न हुए। देश में चले असहयोग आंदोलन के दौरान उन्होंने सरकारी नौकरी से त्यागपत्र दे दिया और साहित्यिक पत्रकारिता करने लगे। इस क्रम में वह 1921 में कलकत्ता में पहले ‘मारवाड़ी सुधार’ के संपादन से संलग्न हुए, फिर 1923 में ‘मतवाला’ पत्रिका का संपादन करने लगे। सन् 1924 में वह लखनऊ चले गए जहाँ ‘माधुरी’ पत्रिका के संपादकीय विभाग में कार्य करने लगे। यहीं वह प्रेमचंद के कार्य-सहयोगी बने और उनकी ‘रंगभूमि’ तथा कुछ अन्य कहानियों के संपादन में योगदान किया। 1925 में वह फिर कलकत्ता लौट गए जहाँ ‘समन्वय’, ‘मौजी’, ‘गोलमाल’, ‘उपन्यास तरंग’ जैसी कुछ अल्पकालिक पत्रिकाओं का संपादन किया। 1926 में वह काशी चले गए और स्वतंत्र पत्रकार के रूप में कार्य करने लगे। 1932 में जयशंकर प्रसाद और उनके मित्रमंडल द्वारा काशी से प्रकाशित ‘जागरण’ साहित्यिक पाक्षिक से संबद्ध हुए जहाँ एक बार फिर वह प्रेमचंद के कार्य-सहयोगी रहे। वाराणसी में वह नागरी प्रचारिणी सभा और ऐसे कई अन्य साहित्यिक मंडलों के सक्रिय सदस्य भी रहे। 1935 में वह सपरिवार लहेरिया सराय (दरभंगा) चले गए जहाँ ‘बालक’ पत्रिका के संपादन से संलग्न हुए। 1939 में उन्हें राजेंद्र कॉलेज, छपरा में हिंदी के प्राध्यापक के रूप में नियुक्त किया गया।
वर्ष 1950 में शिवपूजन सहाय बिहार राष्ट्र भाषा परिषद के सचिव नियुक्त किए गए और इस पद पर रहते हिंदी संदर्भ ग्रंथों के 50 से अधिक संस्करणों का संपादन और प्रकाशन किया। बाद में वह परिषद के निर्देशक भी बने और ‘हिंदी साहित्य और बिहार’ शीर्षक साहित्यिक इतिहास का संकलन और संपादन किया।
शिवपूजन सहाय संपादक के साथ ही कथाकार-उपन्यासकार के रूप में समादृत हैं। उन्हें साहित्यिक स्मारक संस्करणों के संपादन के लिए भी याद किया जाता है। बिहार राष्ट्र भाषा परिषद द्वारा उनकी रचनाएँ शिपूजन रचनावली (1956-59) के 4 खंडों में संकलित और प्रकाशित की गईं। उनके संपूर्ण कार्य को उनके पुत्र मंगल मूर्ति द्वारा ‘शिवपूजन सहाय साहित्य समग्र’ (2011) के 10 खंडों में संपादित और प्रकाशित किया गया है।
उन्हें 1960 में भारत सरकार द्वारा पद्म भूषण से सम्मानित किया गया। उन पर डाक टिकट भी ज़ारी किया गया है।
प्रमुख कृतियाँ
गद्य-साहित्य : देहाती दुनिया, महिला-महत्व, विभूति, वे दिन वे लोग, बिंब-प्रतिबिंब, मेरा जीवन, स्मृतिशेष, हिंदी भाषा और साहित्य, ग्राम सुधार, माता का आँचल।
संपादन कार्य : द्विवेदी अभिनंदन ग्रंथ, जयंती स्मारक ग्रंथ, अनुग्रह अभिनंदन ग्रंथ, राजेंद्र अभिनंदन ग्रंथ, हिंदी साहित्य और बिहार, अयोध्या प्रसाद खत्री स्मारक ग्रंथ, बिहार की महिलाएँ, आत्मकथा (डॉ. राजेंद्र प्रसाद), रंगभूमि (प्रेमचंद)।
संपादित पत्र-पत्रिकाएँ : मारवाड़ी सुधार, मतवाला, माधुरी, समन्वय, मौजी, गोलमाल, जागरण, बालक, हिमालय।
जश्न-ए-रेख़्ता | 13-14-15 दिसम्बर 2024 - जवाहरलाल नेहरू स्टेडियम, गेट नंबर 1, नई दिल्ली
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