भीष्म साहनी के कथा-साहित्य से गुजरना अपने समय को बढ़ते हुए गुजरना है | हिंदी के प्रगतिशील कहानीकारों में उनका स्थान बहुत ऊँचा है | यहाँ उनके साथ कहानी-संग्रहों से प्राय सभी प्रतिनिधि कहानियों को संकलित कर लिया गया है | युग-सापेक्ष सामाजिक यथार्थ, मूल्यपरक अर्थवत्ता और रचनात्मक सादगी-इन कहानियों के कुछ ऐसे पहलू हैं, जो हमारे लिए किसी भी काल्पनिक और मनोरंजक दुनिया को निषिद्ध ठहराते हैं | विभिन्न जीवन-स्थितियों में पड़े इनके असंख्य पत्र आधुनिक भारतीय समाज की अनेक जटिल परतों को पाठकों पर खोलते हैं | उनकी बुराइयाँ, उनका अज्ञान और उनके हालत व्यक्तिगत नहीं, सार्वजनीन और व्यवस्थाजन्य हैं | इसके साथ ही इन कहानियों में ऐसे चरित्रों की भी कमी नहीं, जो गहन मानवीय संवेदना से भरे हुए हैं और अपने-अपने यथास्थितिवाद से उबरते हुए एक सार्थक सामाजिक बदलाव के लिए संघर्षरत शक्तियों से जुड़कर नया अर्थ ग्रहण करते हैं, | वे न तो अपनी भयावह और दारुण दशा से आक्रांत होते हैं, न निराश, बल्कि अपने साथ-साथ पाठकों को भी संघर्ष की एक नई उर्जा से भर जाते हैं |
जश्न-ए-रेख़्ता | 13-14-15 दिसम्बर 2024 - जवाहरलाल नेहरू स्टेडियम, गेट नंबर 1, नई दिल्ली
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