'छोटे साहब' प्रस्तुत पुस्तक में रचनाकार ने नारी प्रेम को बढ़ावा दिया है। समलैंगिक प्रेम को प्रचलित करने की कोशिश की है। इस उपन्रयास से यह मालूम चलता है कि रचनाकार का दृष्टिकोण नारियों के प्रति विशिष्ट रहा है।
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