यह चंबल की पृष्ठभूमि पर आधारित रामकुमार भ्रमर जी का एक उपन्यास है। इसके अनुसार प्राचीनकाल में एक राजा थे रंतिदेव जिन्होंने यज्ञ के लिए हजारों जानवरों की बलि दे दी थी और उनका खून बहा दिया। जानवरों की चर्म राशि और खून ने नदी का रूप ले लिया। इसलिए इसे अपवित्र माना जाता है और गंगा, यमुना, गोदावरी, कृष्णा कावेरी जैसी नदियों की तरह इनकी पूजा नहीं की जाती।
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