प्रस्तुत पुस्तक 'कैंसर वार्ड' का दूसरा भाग है। मूल रूसी से अंग्रेजी में निकोलस बेथेल एवं डेविड वर्ग द्वारा अनूदित संस्करण का यह हिन्दी अनुवाद है। हिन्दी अनुवादक हैं- विजयश्री भारद्वाज। इस उपन्यास के मूल लेखक को सन् 1970 में साहित्य का नोबेल पुरस्कार प्राप्त हुआ था। प्रस्तुत पुस्तक में लेखक ने अपने जीवन के ऐसे क्षणों को लेखनी में पिरोया है जिस से वह शायद ही कभी विच्छेद हो पाए।
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