'भीगी हुई रेत' नये लेखकों के इस संदर्भ में नई सेंसिबिलिटी, यानी विकसित होती हुई कला चेतना, अपनी कलात्मक समझ का इस्तेमाल करते हुए ही साहित्य कर्म का प्रतिनिधि करती हुई नज़र आती है।
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