'अरण्यकाण्ड' प्रस्तुत पुस्तक की कथा राम की तो है ही, किंतु आज के मनुष्य की भी है। संभवत: समय इससे भिन्न नहीं है। आधार पर प्रस्तुत है 'अरण्यकांड' एक उपन्यास। प्रणवकुमार अलग-अलग विषय की जो सारी कहानियाँ लिखते रहे, वे स्वयं ही एक बेहद लंबी कथा की सृष्टि करती हैं। उनकी कहानियों और उपन्यासों की घटनाएँ, पात्र और विस्तार की भूमि सबसे अलग है।
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