'अपने-अपने चेहरे' एक अविवाहित किंतु एक विवाहित पुरूष से अजीवन प्रेम करनेवाली स्त्री के विद्रोह की गाथा है। यह प्रभाजी का घनी मारवाड़ी व्यवसायिक जगत के आंतरिक जीवन का यथार्थ चित्रण करनेवाला श्रेष्ठ उपन्यास है।
प्रभा खेतान (1 नवम्बर 1942 – 19 सितम्बर 2008) हिन्दी साहित्य, नारीवादी विचारधारा तथा सामाजिक-सांस्कृतिक हस्तक्षेप की एक विशिष्ट और प्रभावशाली व्यक्तित्व थीं। कोलकाता में जन्मी प्रभा खेतान ने कोलकाता विश्वविद्यालय से दर्शनशास्त्र में परास्नातक की उपाधि प्राप्त की तथा ज्याँ-पॉल सार्त्र के अस्तित्ववादी दर्शन पर शोध कर पीएच.डी. की उपाधि अर्जित की। दर्शन का यह गहन अनुशीलन उनके साहित्यिक, वैचारिक और सामाजिक हस्तक्षेपों की बुनियादी वैचारिक संरचना बना।