'अक्षरद्वीप' यह पुस्तक आज के मूल्यों के अंतर्गत रामकथा के सुंदरकांड का एक पुर्नपाठ है। इस उपन्यास में वैदेही, रावण और हावीर की भूमिकाएँ जिन सीमाओं पर संघातपूर्ण है वे आज के अतिरिक्त अतीत की भी पहचान हैं। यह मनुष्य का निरंतर जारी एक असमाप्य प्रयास है।
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