'आँखें मेरी बाकी उनका' प्रस्तुत इस पुस्तक में रचनाकार ने दिल्ली का स्वरूप , बनावट उकेर के रखा है और इस पुस्तक में मुग़ल शाशन की ज़िक्र है जब वे भारत आए थे तब उन्होंने क्या-क्या देखा दिल्ली शहर में इस बात की वर्णन है।
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