प्रस्तुत उपन्यास का ताना बाना लेखिका ने बड़ी सहजता से बुना है। यह मूलत: एक प्रेम कहानी है इस कहानी का परिवेश अत्यंत बेजोड़ है। जिससे हमारे देश में पैसठ साल में घटित राजनीतिक, सामाजिक, धार्मिकस सांस्कृतिक और भाैतिक जीवन के क्षेत्र का ऐतिहासिक ज्ञान भलीभाँति हो जाता है।
जश्न-ए-रेख़्ता | 13-14-15 दिसम्बर 2024 - जवाहरलाल नेहरू स्टेडियम, गेट नंबर 1, नई दिल्ली
टिकट ख़रीदिए