'आखेट महल' उपन्यास के पात्र मानव मन की अतल गहराइयों में जाकर सुख की तलाश करते हैं। जो वर्तमान समय की चूहा-दौड़ को सफलतापूर्वक दर्शाते हैं। लेखक अपने साहित्य से पाठक का सामना एक ऐसी दुनिया से करवाते है, जहाँ राजतंत्र भले ही समाप्त हो गया हो परंतु आज के जनतंत्र में उसकी रूढ़ियाँ अभी भी कायम है और मनुष्य सत्ता की दौड़ में अंधाधुंध भागता जा रहा है। इनके उपन्यासों में काम भावना, दमित भावनाओं सहित तमाम मानसिक स्थितियों का खुलकर चित्रण हुआ है। जहाँ रचनाओं की स्थित और घटित घटनाओं के सम्बन्ध पात्रों के साथ यथार्थ परक लगते हैं।
जश्न-ए-रेख़्ता | 13-14-15 दिसम्बर 2024 - जवाहरलाल नेहरू स्टेडियम, गेट नंबर 1, नई दिल्ली
टिकट ख़रीदिए