‘आधी रात का सफर’ और ‘जो भुलाए न बने’ में वह दुनिया के भीतर अपनी दुनिया के उजाले खोज लेते हैं। वह ऐेसे पथिक हैं, जो मंजिल को खुद से मिलने का निमंत्रण देते हैं और यायावरी के अपने संसार में ‘कैसे कैसे लोग’ ढूंढ लेते हैं।
जश्न-ए-रेख़्ता | 13-14-15 दिसम्बर 2024 - जवाहरलाल नेहरू स्टेडियम, गेट नंबर 1, नई दिल्ली
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