‘आधी रात का सफर’ और ‘जो भुलाए न बने’ में वह दुनिया के भीतर अपनी दुनिया के उजाले खोज लेते हैं। वह ऐेसे पथिक हैं, जो मंजिल को खुद से मिलने का निमंत्रण देते हैं और यायावरी के अपने संसार में ‘कैसे कैसे लोग’ ढूंढ लेते हैं।
हिन्दवी उत्सव, 27 जुलाई 2025, सीरी फ़ोर्ट ऑडिटोरियम, नई दिल्ली
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