कवयित्री-कथाकार ज्योत्स्ना मिलन का जन्म 19 जुलाई 1941 को मुंबई में हुआ। उन्होंने गुजराती और अँग्रेज़ी साहित्य में उच्च शिक्षा प्राप्त की थी। उनके रचना-कर्म की शुरुआत बचपन से ही घर के साहित्यिक माहौल में हो गई थी। उनके पिता मुक्तिबोध के सहपाठी रहे थे और स्वयं कवि थे। उनका विवाह हिंदी के समादृत साहित्यकार रमेशचंद्र शाह से हुआ।
वह पद्य और गद्य दोनों विधाओं में रचनारत रहीं। इसके अतिरिक्त, हिंदी में उनका एक प्रमुख योगदान गुजराती साहित्य के हिंदी अनुवाद के रूप में भी रहा है। वह स्त्रियों के संगठन ‘सेवा’ के मासिक मुखपत्र ‘अनसूया’ की संपादक थीं।
‘घर नहीं’ और ‘अपने आगे-आगे’ उनके काव्य-संग्रह हैं। उनकी कहानियों का संकलन ‘चीख़ के आर-पार’, ‘खंडहर तथा अन्य कहानियाँ’, अँधरे में इंतज़ाम’ और ‘उम्मीद की पूरी सूरत’ शीर्षक संग्रहों में हुआ है। ‘अ अस्तु का’ उनका चर्चित उपन्यास है, जबकि एक अन्य उपन्यास ‘अपने साथ’ शीर्षक से प्रकाशित है।
उन्होंने प्रख्यात सामाजिक कार्यकर्ता इला भट्ट के ऐतिहासिक उपन्यास ‘लॉरी युद्ध’ का हिंदी अनुवाद किया, साथ ही उनकी स्त्री-चिंतन की पुस्तक का अनुवाद ‘हम सविता’ नाम से किया। उन्हें विभिन्न गुजराती कविताओं को अनुवाद के रूप में हिंदी में लाने का श्रेय प्राप्त है। देश-विदेश के कुछ संग्रहों में उनकी रचनाएँ शामिल की गई हैं। उन्हें मध्य प्रदेश सरकार का मुक्तिबोध फ़ेलोशिप और मानव संसाधन विकास मंत्रालय का सीनियर फ़ेलोशिप प्रदान किया गया था।
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