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सिंह मांहिं है सिंह
सिंह मांहिं है सिंह सौ, स्याल मांहिं पुनि स्याल।जैसी घट उनहार है, सुन्दर तैसौ ख्याल॥
सुंदरदास
राम हि भज्यौ कबीरजी
राम हि भज्यौ कबीरजी, राम भज्यौ रैदास।सोझा पीपा राम भजि, सुन्दर हृदय प्रकास॥
सुंदरदास
राम भजन राम हि मिलै
राम भजन राम हि मिलै, तामैं फेर न सार।सुन्दर भजै सनेह सौं, वाकौं मिलत न बार॥
सुंदरदास
राम चरन दुख मिटत है
राम चरन दुख मिटत है, ज्यों विरही अतिहीर।राम बिरह सर हिय लगे, तन भरि कसकत पीर॥
रामचरणदास
मार्यौ सिंह महा बली
मार्यौ सिंह महा बली, मार्यौ ब्याघ्र कराल।सुन्दर सबही घेरि करि, मारी मृग की डाल॥
सुंदरदास
थाल बजंता हे सखी
थाल बजंता हे सखी, दीठौ नैण फुलाय।बाजां रै सिर चेतनौ, भ्रूणां कवण सिखाय॥
सूर्यमल्ल मिश्रण
सुन्दर समरथ राम है
सुन्दर समरथ राम है, जे कछु करै सु होइ।जो प्रभु कौं कछु कहत है, ता सम बुरा न कोइ॥
सुंदरदास
सद्गुरु ही ते पाइये
सद्गुरु ही ते पाइये, राम मिलन की बाट।सुन्दर सब कौ कहत है, कोडा बिना न हाट॥
सुंदरदास
हे पिक! तजि या अंब कौ
हे पिक! तजि या अंब कौ, भजि जाओ थल आन।यहाँ प्रान बचिहैं नहीं, मच्यो काग-घमसान॥
मोहन
राम नाम रंकै भज्यौ
राम नाम रंकै भज्यौ, भज्यौ त्रिलोचन राम।नामदेव भजि राम कौं, सुन्दर सारे काम॥
सुंदरदास
सिंह कूप परि आइ कैं
सिंह कूप परि आइ कैं, देखी अपनी छांहिं।सुन्दर जान्यौ दूसरौ, बूड़ि मुवौ ता मांहिं॥