मोहन राकेश के उद्धरण

मनुष्य को फाँसी देकर नष्ट करना वहशत ही नहीं, पागलपन भी है। यह पागलपन और वहशत डरे हुए हृदय के परिणाम होते हैं जो अपने पर विश्वास और नियंत्रण खो देता है।
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