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विनोद कुमार शुक्ल के उद्धरण

जब किसी एक से प्रेम करने का बंधन हो चाहे प्रेम न हो तो दूसरे से प्रेम होने का डर गृहस्थी की चौहद्दी को मज़बूत बनाता था।