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कृष्ण बलदेव वैद के उद्धरण

अपनी ज़ात को मार देने और अपने ज़मीर को मार देने में फ़र्क़ है।

जश्न-ए-रेख़्ता (2023) उर्दू भाषा का सबसे बड़ा उत्सव।

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