डेट एक्सपायर टिप्पणी

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उपेन्द्र श्रेष्ठ

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उपेन्द्र श्रेष्ठ

और अधिकउपेन्द्र श्रेष्ठ

    हाँ, मैं एक आश्रयहीन आदमी

    अणुबम द्वारा खंडित अवशेष

    वासहीन मैं एक पंछी

    निवास के लिए चल रहा हूँ; और,

    ढो रहा हूँ शताब्दियाँ, आँखों में सूर्य

    हँसा हूँ उजाले के एक टुकड़े में अमूर्त बनकर।

    आह! मैं कितना स्वतंत्र हूँ अकेले जीवन में

    आह! मैं कितना सुंदर हूँ अकेले अपने में

    आह! कितनी संकीर्ण परिधिवाला संसार है मेरे अंदर

    आह! कितनी अकेली मेरे अंदर की रिक्तता और निर्वासन

    हाँ, परतंत्रता में बढ़ना भी है एक अपराध

    दूसरे की इच्छा में 'पशु' की तरह जीवित रहना

    हर क्षण जागना होता है ख़ुद में

    हर क्षण अंत होता है जागने का अपने में ही

    अपने में ही ढो रहा हूँ दार्चुला

    अपने में ही ढो रहा हूँ प्रशांत ज्वारभाटा

    अपने में ही ढो रहा हूँ पशुत्व के साथ विद्रोह

    अपने में ही ढो रहा हूँ बोधिसत्व

    आत्मसमर्पण नहीं करता हूँ मैं अपने दोस्त के आगे

    आत्मसमर्पण नहीं करता हूँ मैं अपनी मृत्यु के आगे

    वहीं बिखेर दी है मैंने स्याही केवल काग़ज़ में

    लिख दी है मैंने अनुभूति केवल अक्षरों में

    वहाँ भी अभिव्यक्त हो सका मेरा जीवन संपूर्ण

    एक पाप स्वीकार में...

    मसौदा बनाया है मैंने ख़ुद को घोषणापत्र में

    फैसला किया है मैंने अपना ही

    मात्र मैं एक मसौदा काग़ज़ पर

    ...डेट एक्सपायर टिप्पणी जैसा हूँ—

    चुकता नहीं कर सका मैं अपने से अपने को

    विरोध नहीं है मेरा तुम्हारे गर्भपात से

    केवल विरोध है मेरा लहूलुहान हथेली से

    विरोध है मेरा ख़ून से अपवित्र इतिहास से।

    आओ, भर दें नंगे पर्वतों की माँग में सिंदूर

    आओ, लहरों जैसा फैलें हम शुष्क चट्टान में

    जीवन के लिए

    आओ कैनवास के लिए मॉडल बनें हम

    फुटपाथ पर खड़े होकर

    कुछ देर सोचें प्रेमपत्र लिखने के लिए

    कैसे प्रारंभ करें हम प्रेमपत्र को

    कैसे अंत करें हम प्रेमपत्र का!

    स्रोत :
    • पुस्तक : नेपाली कविताएँ (पृष्ठ 18)
    • संपादक : सर्वेश्वरदयाल सक्सेना
    • रचनाकार : उपेन्द्र श्रेष्ठ
    • प्रकाशन : राजकमल प्रकाशन
    • संस्करण : 1982

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