गाय पर मास्टर जी का निबंध

gay par master ji ka nibandh

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    बचपन में मास्टर जी ने

    गाय पर निबंध लिखने को कहा था

    और बताया था कि

    गाय एक पालतू चौपाया जानवर है

    जिसकी दो आँख दो कान और एक पूँछ होती है

    गाय दूध देती है

    दूध से दही छेना खोवा और

    तरह-तरह की मिठाइयाँ बनती हैं

    गाय गोबर देती है

    जिससे खाद बनती है

    गोबर की खाद से फ़सल अच्छी होती है

    मास्टर जी ने यह भी बताया था कि

    गाय एक परोपकारी जानवर है

    जो मरकर भी लोगों को लाभ पहुँचाती है

    मारे हुए गाय की खाल से

    चमड़ा बनता है

    जिससे जूते और चप्पल आँखें जाते हैं

    मास्टर जी की बताई बातों को

    निबंध में लिखने के बाद

    पता नहीं क्यों हम लोग कक्षा में

    कोरस में गाते थे—

    “गाय हमारी माता है

    हमको कुछ नहीं आता है

    बैल हमारा बाप है

    नंबर देना पाप है!”

    और ख़ूब तालियाँ बजाते थे

    हँसते थे

    गाय पर निबंध लिखाकर मास्टर जी ने

    निबंध सिखाने की शुरुआत की थी

    पर पता नहीं क्यों

    फिर मास्टर जी ने किसी पालतू जानवर—

    भेड़ बकरी या सूअर पर

    निबंध लिखने को नहीं कहा

    अब देखता हूँ कि

    मास्टर जी की सीधी-साधी गाय

    चौपाया जानवर से

    धीरे-धीरे ताक़तवर पशु में तब्दील हो गई है

    पालतू से संसदीय हो गई है

    राजनेता बता रहे है कि

    गाय हमारी संस्कृति है

    गाय की रक्षा करना

    भारतीय सभ्यता और संस्कृति की रक्षा करना है

    गौ-माँस को खाने वाले

    भारतीय संस्कृति के दुश्मन है

    गाय अब भी दूध देती है

    गाय की दूध से अब भी मिठाइयाँ बनती है

    पर उन मिठाइयों से ज़्यादा

    गौ-माँस की चर्चा होती है

    गौ-माँस खाने के शक में

    किसी की हत्या हो सकती है

    गौ-माँस से बने व्यंजन बेचने के जुर्म में पुलिस

    किसी भी रेस्त्राँ या होटल की तलाशी ले सकती है

    गौ-माँस की दावत देकर कोई भी छुटभैया नेता

    अपने विरोधी दल को चिढ़ा सकता है

    अपनी सियासत चमका सकता है

    गौ-माँस खाकर कोई भी अपने को

    प्रगतिशील साबित कर सकता है

    गौ-माँस

    सत्ता और विपक्ष

    दोनों के हाथों का हथियार बन गई है

    मेरे देशवासियों!

    गाय अब वोट बैंक बन गई है

    मास्टर जी को शायद उस समय पता नहीं था

    कि गाय भविष्य में एक राजनीतिक पशु बनने वाली है

    नहीं तो ज़रूर संकेत करते

    हो सकता है कि आने वाले दिनों में

    शेर के बदले

    गाय को राष्ट्रीय-पशु घोषित कर दिया जाए

    स्रोत :
    • रचनाकार : राज्यवर्द्धन
    • प्रकाशन : हिन्दवी के लिए लेखक द्वारा चयनित

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