1939 - 2016 | जालंधर, पंजाब
साठोत्तरी पीढ़ी के सुप्रसिद्ध गद्यकार। संपादक के रूप में उल्लेखनीय।
कुशल दबे पाँव इस तरह घर में घुसा था, जैसे घर उसका अपना न हो और खाँसी आने पर वह गली में जाकर इस तरह जी भर कर खाँस आया था, जैसे मदन को नसीहत करने का मौक़ा न देने के लिए वह प्रायः दुकान के बाहर जाकर खाँसा करता है। फिर उसने सोचा कि वह शायद अपने अचानक आ जाने
Sign up and enjoy FREE unlimited access to a whole Universe of Urdu Poetry, Language Learning, Sufi Mysticism, Rare Texts
जश्न-ए-रेख़्ता | 13-14-15 दिसम्बर 2024 - जवाहरलाल नेहरू स्टेडियम, गेट नंबर 1, नई दिल्ली
Devoted to the preservation & promotion of Urdu
Urdu poetry, urdu shayari, shayari in urdu, poetry in urdu
A Trilingual Treasure of Urdu Words
Online Treasure of Sufi and Sant Poetry
The best way to learn Urdu online
Best of Urdu & Hindi Books
हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश