सुमित्रानंदन पंत के उद्धरण

जीवन मेरी दृष्टि में एक अविजेय एवं अपरिमेय सत्य तथा शक्ति है—देह, मन और प्राण जिसके अंग एवं उपादान हैं, आत्मा जिसकी आधारशिला अथवा आधारभूत तत्त्व है और ज्ञान-विज्ञान जिसकी अंतर्मुखी-बहिर्मुखी नियामक गतियाँ हैं।
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