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सुमित्रानंदन पंत के उद्धरण

आज की वास्तविकता ही हमारे बहुजन का स्वरूप है। उसका कल का रूप या भविष्य का रूप अभी केवल युग के स्वान्त में अथवा अंतस में अंतर्निहित है।