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राम-लक्ष्मण-परशुराम संवाद (एन.सी. ई.आर.टी)

raam lakshman parshuram sanvad (ncert)

तुलसीदास

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राम-लक्ष्मण-परशुराम संवाद (एन.सी. ई.आर.टी)

तुलसीदास

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    नोट

    प्रस्तुत पाठ एनसीईआरटी की कक्षा दसवीं के पाठ्यक्रम में शामिल है।

    नाथ संभुधनु भंजनिहारा। होइहि केउ एक दास तुम्हारा॥

    आयेसु काह कहिअ किन मोही। सुनि रिसाइ बोले मुनि कोही॥

    सेवकु सो जो करै सेवकाई। अरिकरनी करि करिअ लराई॥

    सुनहु राम जेहि सिवधनु तोरा। सहसबाहु सम सो रिपु मोरा॥

    सो बिलगाउ बिहाइ समाजा। मारे जैहहिं सब राजा॥

    सुनि मुनिबचन लखन मुसुकाने। बोले परसु धरहि अवमाने॥

    बहु धनुही तोरी लरिकाईं। कबहुँ असि रिस कीन्हि गोसाईं॥

    येहि धनु पर ममता केहि हेतू। सुनि रिसाइ कह भृगुकुलकेतू॥

    रे नृपबालक कालबस बोलत तोहि सँभार।

    धनुही सम त्रिपुरारिधनु बिदित सकल संसार॥

    लखन कहा हसि हमरे जाना। सुनहु देव सब धनुष समाना॥

    का छति लाभु जून धनु तोरें। देखा राम नयन के भोरें॥

    छुअत टूट रघुपतिहु दोसू। मुनि बिनु काज करिअ कत रोसू॥

    बोले चितै परसु की ओरा। रे सठ सुनेहि सुभाउ मोरा॥

    बालकु बोलि बधौं नहि तोही। केवल मुनि जड़ जानहि मोही॥

    बाल ब्रह्मचारी अति कोही। बिस्वबिदित क्षत्रियकुल द्रोही॥

    भुजबल भूमि भूप बिनु कीन्ही। बिपुल बार महिदेवन्ह दीन्ही॥

    सहसबाहुभुज छेदनिहारा। परसु बिलोकु महीपकुमारा॥

    मातु पितहि जनि सोचबस करसि महीसकिसोर।

    गर्भन्ह के अर्भक दलन परसु मोर अति घोर॥

    बिहसि लखनु बोले मृदु बानी। अहो मुनीसु महाभट मानी॥

    पुनि पुनि मोहि देखाव कुठारु। चहत उड़ावन फूँकि पहारू॥

    इहाँ कुम्हड़बतिया कोउ नाहीं। जे तरजनी देखि मरि जाहीं॥

    देखि कुठारु सरासन बाना। मैं कछु कहा सहित अभिमाना॥

    भृगुसुत समुझि जनेउ बिलोकी। जो कछु कहहु सहौं रिस रोकी॥

    सुर महिसुर हरिजन अरु गाई। हमरे कुल इन्ह पर सुराई॥

    बधें पापु अपकीरति हारें। मारतहू पा परिअ तुम्हारें॥

    कोटि कुलिस सम बचनु तुम्हारा। ब्यर्थ धरहु धनु बान कुठारा॥

    जो बिलोकि अनुचित कहेउँ छमहु महामुनि धीर।

    सुनि सरोष भृगुबंसमनि बोले गिरा गंभीर॥

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    तुलसीदास

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    स्रोत :
    • पुस्तक : क्षितिज (भाग-2) (पृष्ठ 12)
    • रचनाकार : तुलसीदास
    • प्रकाशन : एन.सी. ई.आर.टी
    • संस्करण : 2022
    हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश : हिन्दवी डिक्शनरी

    हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश : हिन्दवी डिक्शनरी

    ‘हिन्दवी डिक्शनरी’ हिंदी और हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों के शब्दों का व्यापक संग्रह है। इसमें अंगिका, अवधी, कन्नौजी, कुमाउँनी, गढ़वाली, बघेली, बज्जिका, बुंदेली, ब्रज, भोजपुरी, मगही, मैथिली और मालवी शामिल हैं। इस शब्दकोश में शब्दों के विस्तृत अर्थ, पर्यायवाची, विलोम, कहावतें और मुहावरे उपलब्ध हैं।

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