दासप्रथा विरोधी लेखक फ़्रेडरिक डगलस की आत्मकथा पढ़ते हुए

dasapratha virodhi lekhak phreDrik Douglas ki atmaktha paDhte hue

राकेश कुमार मिश्र

राकेश कुमार मिश्र

दासप्रथा विरोधी लेखक फ़्रेडरिक डगलस की आत्मकथा पढ़ते हुए

राकेश कुमार मिश्र

और अधिकराकेश कुमार मिश्र

    यह सारंगी पर सुनना है सबसे उदास राग को

    अमानवीयता के सबसे विभस्त रूप को दर्ज़ करना है कैनवास पर

    गाढ़े काले रंग से

    दीमक के हवाले कर दिए गए काग़ज़ों के मार्जिन पर

    अपना नाम लिखने का रियाज़ करना है

    एक बड़ी सुविधा है अपनी जन्मतिथि का पता होना

    क्या जीवन भर ख़ुश रहने के लिए काफ़ी नहीं

    हम पढ़ सकते हैं किसी भाषा के कुछ शब्द

    रात के घोर अंधकार में

    अपनी माँ का चेहरा पहचानने की विवशता को

    कैसे दर्ज किया जाए किसी भाषा में?

    चाबुक के मार से छल्ली शरीर को घसीटते हुए

    कैसी होती है किसी स्पर्श की स्मृति?

    सब कुछ ख़त्म हो जाने के बाद भी

    किसी नई शुरुआत के बारे में सोचना

    कभी भी आसान नहीं रहा होगा

    तमाम हताशा और यातना के बाद भी

    गति और उड़ान को जीवन में बचा लेना

    जीना है प्रार्थना को

    यह प्राचीन स्वप्न है आज़ादी का

    जिसे कोई लिख रहा है रात के एकांत में ज़मीन पर।

    स्रोत :
    • रचनाकार : राकेश कुमार मिश्र
    • प्रकाशन : हिन्दवी के लिए लेखक द्वारा चयनित

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