मैं तुम्हारी बेटी से प्रेम करता हूँ

main tumhari beti se prem karta hoon

मोहन कोइराला

मोहन कोइराला

मैं तुम्हारी बेटी से प्रेम करता हूँ

मोहन कोइराला

और अधिकमोहन कोइराला

    जो फुदकती है हरी झाड़ियों में तुम लोगों को देखकर

    झिझकती है अकेले में तुम लोगों को देखकर

    निष्कलुष पत्थर पर खड़े प्रतिबिंब!

    तुम्हें क्या पता मैं तुम्हारी बेटी को कितना प्यार करता है

    पसीने के धब्बे और मुस्कान को

    मेहनत से रँगे हुए कपोलों को प्यार करता हूँ

    मैं उस लड़की से प्रेम करता हूँ

    जो थकी है अभी-अभी फावड़े से

    मुगरी चलाने से थकी है

    यौवन की दहलीज़ पर चढ़ रही है अभी-अभी

    ठहरी नीम की छाँह में

    मैं प्रेम करता हूँ तुम्हारी कोंपल को

    मैं उस लड़की से प्रेम करता हूँ

    मैं चलता रहता हूँ

    लेकर खुरपा और कुल्हाड़ी नाव के लिए डाँड़ खोजने

    छेनी और घन लेकर चक्की के लिए पत्थर खोजने

    डाँड़ और कील लेकर नदी के लिए तटबंध खोजने

    —मैं थोड़ी देर दिखलाई दूँगा

    हल चलाता हुआ

    मूर्ति गढ़ता हुआ

    नहर निर्माण करता हुआ

    मुझे गौरव है मैं मूँछें सहलाता हूँ

    जिसने पहले मिट्टी की मेड़ बनाई

    हरी पत्तियों से सजाया उस मेड़ को

    आदमी, जहाँ पौधे मुरझाएँगे

    पसीने से सींचेंगे

    जहाँ कोमल जड़ अड़ेगी पत्थर से

    वहाँ कुदाली से गोड़ेंगे

    जहाँ फसल चोट खाएगी

    चाटेंगे वहाँ थूक से

    जहाँ कोमल अंकुर को कीड़ा लगेगा

    चिमटी से उसे निचोड़ेंगे

    उसी एक बाल और धूल से

    हम गले लगा लेंगे संसार को

    काम से थकती अपनी आत्मा को।

    हमें वरदान मिला है

    हम भाग्यशाली हैं

    जिसके आगे झुकते हैं, झूलते हैं

    वसंत, शिशिर।

    रुई में लपेटी हुई आत्मा से ज़्यादा

    सुरक्षित हैं मिट्टी के ढेले

    आदमी, मैं वह हूँ

    जो अपने भाग्य का निर्माण करता है ख़ुद

    कुल्हाड़े से

    साफ़ करता है, तराशता है, रंग भरता है

    आदमी, मैं वही हूँ जो रचता है अपने भाग्य को ख़ुद

    बलिष्ठ कलाई के लिए

    पवित्र और मीठी रस्मों के लिए

    मीठी मोटी रोटी के लिए

    हम कितने लुब्ध हैं

    प्रेम करना अपराध है और

    हम आपस में प्रेम करते हैं

    मिट्टी में प्रेम छितराते हैं, हृदय में अंकुरित करते हैं

    हम अपने बच्चों को धरती से उठाते हैं—

    पुचकारते हैं और

    चूमते हैं

    हम तुम्हारी बेटी से प्रेम करते हैं।

    स्रोत :
    • पुस्तक : नेपाली कविताएँ (पृष्ठ 63)
    • संपादक : सर्वेश्वरदयाल सक्सेना, किशोर नेपाल, जगदीश घिमिरे
    • रचनाकार : मोहन कोइराला
    • प्रकाशन : राजकमल प्रकाशन
    • संस्करण : 1982

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