यत्र नार्यस्तु... प्रस्तुत उपन्यास इस मानसिकता के समग्र बदलाव के लिए किये दाने वाले संघर्षों का हिस्सा है। यह उपन्यास महिलाओं के उत्पीड़न, दर्द और उनकी शोषण, अभाव, दिशाहीनता के आधार पर रचित है।
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