'विवशता' नरेंद्र लाहड़ का दूसरा उपन्यास है। भारतीय संस्क-ति की उदात्तता से गर्वित, लेखक आज के मूल्यक्षीण और विखंडित समय में एक आदर्श मनुष्य समाज की कामना में लेखनी उठाते हैं। इस उपन्यास के माध्यम से लेखक, वैश्वीकरण के इस युग में, ध्वस्त होते पारंपरिक मूल्य से चिंतित है।