'उफ़्फ़' प्रमोद कुमार तिवारी ने 'इनसाइडर' की तरह 'उफ़्फ़' की रचना की है। यह उपन्यास प्रशासन में निहित विरूपताओं को सफलतापूर्वक उजागर करता है। व्यंग्य, विडम्बना और क्षोभ इसके रचनात्मक लक्षण बन गये हैं। रचनाकार ने असम के जीवन में मचे घमासान को 'उफ़्फ़' में पूरे विस्तार से विवेचित किया है। प्रशासन, परम्परा, जीवनशैली, राजनीति और राष्ट्रीय अखंडता आदि त्रिज्याओं के सहारे यह उपन्यास एक बड़ा रचनात्मक वृत्त बनाता है। इसकी परिधि पर हैं राष्ट्रीय चिन्ताएँ और केन्द्र में है 'भारतीयता'।
जश्न-ए-रेख़्ता | 13-14-15 दिसम्बर 2024 - जवाहरलाल नेहरू स्टेडियम, गेट नंबर 1, नई दिल्ली
टिकट ख़रीदिए