'माफिया' इस उपन्यास में रचनाकार ने समाज के किसी एख वर्ग को दोषी नहीं ठहराया, बल्कि उनकी दृष्टि में पूरा समाज पथ-भ्रष्ट हो चुका है-चोरी करने वाला, चोरी करवानेवाला, चोर पकड़ने वाला, चोर को प्रश्रय देने वाला, अर्थात् शासक वर्ग, कर्मचारी वर्ग, नेता वर्ग, यहाँ तक कि जो इस वर्गीकरण से बाहर है वह भी इस भ्रष्टाचार में लिप्त है।
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