गुनाहों के फूल प्रस्तुत उपन्यास में लेखक ने इसमें वर्तमान और भूतकाल का मिला-जुला संगम करके पाठकों प्रस्तुत किया है। मनुष्य अपने हर काल में दुखी रहा है इस पुस्तक में ऐसी घटना कहीं-कहीं देखने को मिलती है।
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