ध्वन्यालोक उद्योतों में विभक्त है। इसमें कुल चार उद्योत हैं।इस के मंगलाचरण में भगवान विष्णु की स्तुति की गयी है प्रथम उद्योत में ध्वनि सिद्धान्त के विरोधी सिद्धांतों का खण्डन करके ध्वनि-सिद्धांत की स्थापना की गयी है।
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