'औरत खेत नहीं' इस पुस्तक में आँचलिक कथा भूमि परदेशी की रचनाओं की ताकत रही है। सामाजिक सरोकार से संपृक्त ये कहानियाँ नास्टेलजिया से कोसों दूर तो हैं ही, गाँव देहातों में प्रवेश पा चुकी ह्दयहीनता को छील-छालकर सामने रखने में भी सक्षम है।
जश्न-ए-रेख़्ता | 13-14-15 दिसम्बर 2024 - जवाहरलाल नेहरू स्टेडियम, गेट नंबर 1, नई दिल्ली
टिकट ख़रीदिए