पतंगबाज़
मैं एक पतंगबाज़ हूँ। जब से मैंने होश सम्भाला है अपने को पंतग और मंझे में उलझा पाया है। बड़ी बेचैनी से वसंत और गर्मी की ऋतु के गुज़रने का इंतज़ार करता हूँ, ताकि जल्द से जल्द जाड़ा गुज़र आए और मैं पतंग उड़ाऊँ। वैसे मैं हर रंग का मंझा इस्तेमाल करता हूँ—नीला,