अतीत पर उद्धरण
अतीत का अभिप्राय है
भूतकाल, व्यतीत, बीत चुका समय, जिसका अस्तित्व या सत्ता समाप्त हो चुकी। प्रस्तुत चयन में अतीत के विभिन्न रंगों, धूप-छाया का प्रसंग लेती कविताओं का संकलन किया गया है।
अनंत के सापेक्ष में समय की संज्ञा, काल है तथा देश के सापेक्ष में काल की संज्ञा, समय है।
सच तो यह है कि समय अपने बीतने के लिए किसी की भी स्वीकृति की प्रतीक्षा नहीं करता।
आदमी को पूरी निर्ममता से अपने अतीत में किए कार्यों की चीर-फाड़ करनी चाहिए, ताकि वह इतना साहस जुटा सके कि हर दिन थोड़ा-सा जी सके।
अतीत कभी भविष्य के गर्भ से बचकर वर्तमान नहीं रह सका।
दुर्भाग्य अतीत की ख़ुशी से ज़्यादा वास्तविक नहीं है।
जब हम अपने अतीत के बारे में सोचते हैं, तो अविश्वसनीय क़िस्म की हैरानी होती है कि हम ऐसी मूर्खतापूर्ण ग़लतियाँ कैसे कर सकते थे, जिन्हें आज हम इतनी सफ़ाई से देख सकते हैं।