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गाडा टोला

gaDa tola

राही डूमरचीर

राही डूमरचीर

गाडा टोला

राही डूमरचीर

और अधिकराही डूमरचीर

     

    एक

    हर बार पहाड़ से टकरा रही होती सड़क
    मुड़ जाती थी
    पहाड़ किनारे होते हुए
    पीछे छूटते जाते थे
    मेरा सफ़र जारी रहता
    ज़िंदगी में कुछ ‘बनने’ की चाहत में
    पहाड़ पीछे छूटते गए
    नदियों को गाड़ी की खिड़की से
    जी भरके देख पाता
    उससे पहले ही ख़त्म होती रहीं
    बचपन का हमराज़
    सखुआ का जंगल भी
    इधर कम आता है
    गाहे-बगाहे बतियाने
    सब कुछ बदलता रहा वहाँ
    सब बदलते गए वहाँ
    सिवाय मेरे अंदर—
    जहाँ गाडा 1टोला के सबसे आख़िरी घर में
    आज भी रहता है पुरखे बास्की वैसे ही
    आह! पुरखे
    तुम क्यों चले गए मिज़ोरम
    सब छोड़-छाड़ के
    मेरे बचपन के साथी पुरखे
    क्या इतनी भी ताक़त मेरी कलम को नहीं दे सकते
    कि लौटा सकूँ तुम्हें वापस
    तुम्हारे उसी गाडा टोला के
    सबसे आख़िरी घर में

    दो

    हर गाँव में अमूमन
    होता था एक गाडा टोला
    कभी-कभी दो भी :
    चेतान2 गाडा टोला
    लातार3 गाडा टोला
    नदी आते-जाते
    सब बोलते-बतियाते गुज़रते थे गाडा टोला से
    सबसे ज़्यादा रौनक़ होती थी गाडा टोला में
    सब तरफ़ के गाँव
    नाचते-नाचते थक कर जब सो जाते
    थम जाती उनकी लय
    तब सबसे देर तक आती थी
    आवाज़ माँदर की गाडा टोला से
    नदी के उल्लास की ख़ुशबू
    हर ओर गूँजती थी
    गाडा टोला में
    फिर पुरखे बास्की चला गया मिज़ोरम
    देवीलाल हेम्ब्रम कश्मीर
    बेदे टुड़ू असम
    बाहा किस्कू बंगाल
    इस तरह
    जीने-बचने की जुगत में
    छोड़ते गए गाडा टोला सब
    एक-एक कर
    अब वहाँ एक गाँव आबाद है
    जिसमें कोई संताल नहीं है

    तीन

    नदी कभी सूख जाएगी
    सोच ही नहीं पाए कभी
    लगा ही नहीं कि
    पहाड़ों से बार-बार
    कूदती-फाँदती आती नदी
    छोड़कर चली जाएगी
    हमें एक दिन
    कहाँ सोचा था
    हमें बिना बताए
    किसी रोज़
    हमारे बीच से
    चला जाएगा
    गाडा टोला भी
    चुपचाप…

    चार

    मिट गया
    गाडा टोला से होकर
    नदी जाने वाला रास्ता
    नदी भी स्मृति
    हो गई है
    मिटते क़दमों वाले
    साथ ले गए गाडा टोला
    और रूह नदी की

    पाँच

    हुलास मारती है नदी
    सबसे पहले दिल के भीतर
    नक़्शे पर
    तभी जनमता है गाडा टोला
    पहले अंदर मारी जाती है नदी
    तब मिटता है नक़्शे से गाडा टोला

    स्रोत :
    • रचनाकार : राही डूमरचीर
    • प्रकाशन : हिन्दवी के लिए लेखक द्वारा चयनित

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