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पीठ

peeth

अमित तिवारी

और अधिकअमित तिवारी

     

    एक

    बोझा ढोते-ढोते
    इस देश की पीठ
    इतनी झुक गई है
    कि पलटकर किए जाने वाले काम
    स्वतंत्रता या संविधान की तरह
    माने जा चुके हैं
    किसी पौराणिक गप्प का हिस्सा।

    दो

    राजनीति—
    नियमों के अतिक्रमण का नाम है
    जीव-विज्ञान के नियमों का भी
    मसलन
    इसमें सबसे पिलपिले आदमी
    सबसे अधिक तनकर बैठे हुए मिलते हैं।

    तीन

    उनके पास
    क़ानून के लंबे हाथ हैं
    पुलिस की कुशल लाठियाँ
    और लोगों की पीठ तनी रहती है
    तबले के मुँह पर कसे चमड़े की तरह…

    देश का माहौल आजकल
    बहुत ही संगीतमय है।

    चार

    इस देश में अब कोई किसी को
    चेहरे से नहीं पहचानता
    लोग चीन्हे जाने लगे हैं
    अपनी पीठ से
    जो खुजाई जाने लायक़ न हो
    तो उधेड़ दी जाती है।

    पाँच

    रीढ़
    मानव विकास के ताज़ा चरण में
    एक अवशिष्ट अंग है,
    विकास के इस युग में
    सबसे अधिक ठोंकी गई पीठें
    इसका स्कूली उदाहरण बनेंगी।

    छह

    इस देश ने
    उधर से सबसे अधिक पीठ फेरी
    जिन देहों से चुचुआता रहा
    सबसे अधिक पसीना।

    सात

    देश की ज़रूरत थी
    एक साहसी नेतृत्व
    जो पीठ न दिखाता हो,
    अबोध अहमक़ों ने
    उसे ख़ूब ताक़त देते हुए
    उसके आँख दिखाने की संभावनाओं की उपेक्षा की।

    आठ

    वह इस उन्मादी देश के लिए
    निर्भयता का प्रतीक था
    वह अन्न से अधिक
    गौरव दिलाने की बात करता था
    स्वाभाविक से अधिक
    तनी रहती थी उसकी छाती
    लोग नहीं जानते थे
    कि वह केवल प्रतीकों में निर्भय था
    उसकी भिंची मुट्ठियाँ पसीजी रहती थीं
    एक सधी हुई दृष्टि से
    उसके माथे पर आ जाता था पसीना
    वह एक सिकुड़ी पीठ वाला
    कमज़ोर आदमी था।

    नौ

    आर्थिक महाशक्ति बन चुके
    इस देश के बाज़ारों में
    विज्ञान के कई नियम भंग होते हैं—
    सबसे मज़बूत पीठ वालों की कमर
    सबसे पहले टूटती है
    और इस क्रिया की
    कहीं कोई प्रतिक्रिया नहीं होती।

    स्रोत :
    • रचनाकार : अमित तिवारी
    • प्रकाशन : हिन्दवी के लिए लेखक द्वारा चयनित
    हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश : हिन्दवी डिक्शनरी

    हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश : हिन्दवी डिक्शनरी

    ‘हिन्दवी डिक्शनरी’ हिंदी और हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों के शब्दों का व्यापक संग्रह है। इसमें अंगिका, अवधी, कन्नौजी, कुमाउँनी, गढ़वाली, बघेली, बज्जिका, बुंदेली, ब्रज, भोजपुरी, मगही, मैथिली और मालवी शामिल हैं। इस शब्दकोश में शब्दों के विस्तृत अर्थ, पर्यायवाची, विलोम, कहावतें और मुहावरे उपलब्ध हैं।

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