अंतिम आदमी
antim adami
रोचक तथ्य
इस कविता के लिए कवि को भारतभूषण अग्रवाल पुरस्कार प्राप्त हुआ।
उस वक़्त सारी कुर्सियाँ ख़ाली हो चुकी थीं
सबसे अंत में उनके बीच से निकला वह आदमी
और बीच रात में चलने लगा
उसके दोनों हाथ अपनी जेबों में थे
उसकी उँगलियों के इर्द-गिर्द सवाल लिपटे थे
अंतिम आदमी अकेला था सड़कों पर
कई सड़कों और गलियों से गुज़रा वह
उसे रास्ते मालूम थे
उसे मालूम था कोई रास्ता उसके घर तक नहीं जाता
अंतिम आदमी का कोई घर नहीं था
अंतिम आदमी का कोई घर नहीं होता
उसके पास सिर्फ़ सवाल होते हैं जिन्हें
हल करते-करते जवाब में और सवाल पाता है वह
बहुत ठंडी थी वह रात
कोहरे के समुद्र में एक विशाल गेंद की तरह तैर रही थी पृथ्वी
जिसे सबसे अंत में छोड़कर गया वह।
- पुस्तक : उर्वर प्रदेश (पृष्ठ 66)
- संपादक : अन्विता अब्बी
- रचनाकार : राजेंद्र धोड़पकर
- प्रकाशन : राजकमल प्रकाशन
- संस्करण : 2010
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