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वैशाख पूर्णिमा

vaishakh purnima

के. नरसिम्हामूर्ति

के. नरसिम्हामूर्ति

वैशाख पूर्णिमा

के. नरसिम्हामूर्ति

और अधिकके. नरसिम्हामूर्ति

    राका-सुधा के प्रकाश से उन्मत्त

    वैशाख पूर्णिमा की रजनी नभोम्बुधि

    क्षितिजाग्र श्वेताभ्र डिडीर माला में

    भूमि के तीरों को करती रहने पर आप्लावित।

    एकत्र आराधकों की नसों में

    निरंतर ऊष्म रक्त संचरित करने वाले

    ग्राम देवी के मंदिर के विविध वाद्य

    त्याग आगे चले।

    फलों से लदे आम, नारियल मानो घड़े लिए हुए,

    शीतल तमाल की छाया, पीपल की कोमल पत्तियाँ,

    दुखी को बुलाने वाले इस वन में कैसी शांति

    सूर्य की अध्यक्षता का विचल व्यापृत जग

    ज्यों यक्षिणी की माया से घुले रहने पर शून्य में

    अपने-आपको समझने वाली अंतरात्मा की आँख

    खुलने पर पूर्ण चंद्रताप की

    सुस्नेह वर्षा में परिवर्तित हुई पृथ्वी!

    सभी के सोने पर एक जागृत हो

    जीवन का द्रष्टार बन, दूर रखकर

    कर्म बल संकेत

    बृहत् जटिल शाखोपशाखा में

    बीज आसक्ति, जड़ आशा, शाखा मोह,

    पत्ते भूल, फल दुःख होने से

    मैत्रिवृत्त लोक योगकेंद्र में आत्मा को

    रखकर निर्वाण श्रेणी को चढ़ना सीखा।

    उस बुद्ध की कृपा कौमुदी के आशीष में

    मुझे भी वर्ष में इस रात मुक्ति प्राप्त हो।

    स्रोत :
    • पुस्तक : भारतीय कविता 1954-55 (पृष्ठ 151)
    • रचनाकार : नरसिंहमूर्ति के
    • प्रकाशन : साहित्य अकादेमी
    हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश : हिन्दवी डिक्शनरी

    हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश : हिन्दवी डिक्शनरी

    ‘हिन्दवी डिक्शनरी’ हिंदी और हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों के शब्दों का व्यापक संग्रह है। इसमें अंगिका, अवधी, कन्नौजी, कुमाउँनी, गढ़वाली, बघेली, बज्जिका, बुंदेली, ब्रज, भोजपुरी, मगही, मैथिली और मालवी शामिल हैं। इस शब्दकोश में शब्दों के विस्तृत अर्थ, पर्यायवाची, विलोम, कहावतें और मुहावरे उपलब्ध हैं।

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