रंगों का इतिहास नन्ही रिधिमा के लिए
rangon ka itihas nannhi ridhima ke liye
रंगों का इतिहास अभी लिखा नहीं गया
जब लिखा जाएगा तो यह दर्ज होगा
कि लाल दरअसल ख़ून का नहीं
हमारी आँखों में उतरे पानी का रंग है
नीला आकाश का नहीं
वहाँ से ग़ायब हो चुके सुकून का रंग है
हरा पत्तों का नहीं
धरती के अम्ल का रंग है
बाक़ी जितने भी रंग हैं
उनके बारे में अफ़वाह यह है कि
वे इन्ही तीन प्राथमिक रंगों से मिलकर बने हैं
जबकि सच तो यह है कि
सब रंग
जो हमें दिखते हैं और नहीं
हमेशा से हैं
और उस कलाकार की तलाश में हैं
जो उन्हें खोज निकालेगा
रंग हमेशा ही से खिलंदड़ी रहे हैं
उन्हें लुका-छिपी का खेल बेहद भाता है
उन्हें निकालना पड़ता है
दूसरे रंगों की कंदराओं में से
कभी प्यार से, कभी धीरे से
जब वे प्रसन्न होते हैं तो अपने आप
प्रगट हो जाते हैं
उन्हें महत्वाकांक्षी लोग नापसंद हैं
जो उन्हें आक्रामक तरीक़े से खींच कर बाहर पटक देना चाहते हैं
वे उन पर अपनी नामंज़ूरी ज़ाहिर करते हैं
छितरे रह कर
किरमिच पर आने से इंकार करके
दरअसल रंग, रंग हैं ही नहीं
वे तो नन्हे बालक हैं
जो अभी यह चुनाव कर रहे हैं
कि उन्हें इस दुनिया के सबक सीखने भी हैं, या नहीं।
- रचनाकार : विजया सिंह
- प्रकाशन : हिन्दवी के लिए लेखक द्वारा चयनित
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