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अंतिम विदा का गीत

antim wida ka geet

अभिनव

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अंतिम विदा का गीत

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    आह भरती वेदना में दूर मीलों का सफ़र

    इस सफ़र ने बोल प्यारे, आज तुझको क्या दिया

    लौट जा परदेसिया... ये देस तेरा रहा!

    डगमगाते पैर तेरी माँ के शायद इस वजह,

    निकले थे घर को कि शायद तू तो भूखा रहे।

    भूख के उन्माद से कोई कहाँ है बच सका?

    लौट जा परदेसिया... ये देस तेरा रहा।

    है सड़क पर होड़, बच्चे! तेरे जैसे और हैं

    और भी माँएँ हैं, जो चल रही हैं इस तरह।

    इस तरह चलके भी हासिल हो रहा है और क्या?

    लौट जा परदेसिया... ये देस तेरा रहा।

    आज सब ज़ातें सड़क पर हो गई हैं एक-सी,

    एक-सी पीड़ा है उनकी, एक जैसी बेबसी

    हुक्मरानों का कहूँ क्या? उनका कहना एक-सा।

    लौट जा परदेसिया... ये देस तेरा रहा।

    जो बचेंगे उनको रोटी ही मिलेगी ख़्वाब की,

    छूट जाएगी दुबारा, ये गली फिर गाँव की।

    भूखमरी फिर ले चलेगी, लादने को बोरियाँ

    लौट जा परदेसिया... ये देस तेरा रहा।

    स्रोत :
    • रचनाकार : अभिनव
    • प्रकाशन : हिन्दवी के लिए लेखक द्वारा चयनित

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