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निरखत अंक स्यामसुंदर के
निरखत अंक स्यामसुंदर के बारबार लावति छाती।लोचन-जल कागद-मसि मिलि कै ह्वै गई स्याम स्याम की पाती॥
सूरदास
मति गिरि! गिरै गोपाल के करते
मति गिरि! गिरै गोपाल के करते।अरे भैया ग्वाल लकुटिया टेकी अपने अपने कर के बलते॥
परमानंद दास
गिरि पर चढ़ गिरिवरधर टेरे
गिरि पर चढ़ गिरिवरधर टेरे।अहो भैया सुबल श्रीदामा लाओ गाय खिरक के नेरे॥
परमानंद दास
जो गिरि रुचे तो बसो श्री गोवर्द्धन
नंददास
श्रीवृन्दावन-रज दरसावै
श्रीवृन्दावन-रज दरसावै, सोई हितू हमारा है।राधामोहन-छबी छकावै सोई प्रीतम प्यारा है॥
ललितकिशोरी
घिरि घिरि घोर घमक घन धाए
घिरि घिरि घोर घमक घन धाए।बरसत बारि बड़ी बड़ी बूंदन बृज-मंडल पर छाए॥
भारतेंदु हरिश्चंद्र
श्री गुरु-गोपाल वंदना
सेवों श्री विट्ठलेश गुरु की चरण रज,सरन प्रतिपाल गोपाल पद बंदों मैं॥
यमुना प्रसाद चतुर्वेदी
हे घन स्याम, कहाँ घनस्याम
हे घन स्याम, कहाँ घनस्याम।रज मँडराति चरन-रज कित सों सीस धरैं अठजाम॥
सत्यनारायण कविरत्न
ब्रज के लोग सब ठग महा
छाडिकै रज लुटत रज में, दीन, दीसत अंग।और जग-सुख-रंग उड़िकैं, चढ़त कारो-रंग॥
नागरीदास
हरि कौ विमल जस गावत
परमानंद दास
पीव घरि आवे रे
पीव घरि आवे रे बेदन माह्नी जांणी रे।बिरह संतापै कवण परि कीजै कहूँ छूँ दुखनीं कहांणी रे॥
दादू दयाल
श्री यमुना वंदना
‘प्रीतम’ सुकवि अघ बृंदन प्रभंजनी जुबंदों पद पद्म कालिंद गिरि नंदिनी
यमुना प्रसाद चतुर्वेदी
कवितावली (उत्तर कांड से) (एन.सी. ई.आर.टी)
चाकर, चपल नट, चोर, चार चेटकी।पेटको पढ़त, गुन गढ़त, चढ़त गिरि,