आपकी खोज से संबंधित
परिणाम "karwan e gazal volume 003 ebooks"
अत्यधिक संबंधित परिणाम "karwan e gazal volume 003 ebooks"
नार को गर्मी-ए-तहसीन-ए-ज़िया देता है
नार को गर्मी-ए-तहसीन-ए-ज़िया देता हैफिर उसी नार को ख़ुर्शीद बना देता है
संजय चतुर्वेदी
सूरमाओं को सर-ए-आम से डर लगता है
हमीं हैं ज़ेर-ए-बहस और हमीं ख़ुदा-ए-बहसफिर हमें किसलिए अंजाम से डर लगता है
संजय चतुर्वेदी
ए तो जाबाला ए बाई थारा
ए तो जाबाला ए बाई थारा, मन में निरख निरधार।कुण थारा साथी कुण थारा बैरी, कुण थारा गोती नाती॥
रानाबाई
अन्य परिणाम "karwan e gazal volume 003 ebooks"
नज़्र-ए-योगेश प्रवीन नज़्र-ए-लखनऊ
लखनऊ! तुझ पर बहा-ए-नौ दुबारा आएगीबारिशें होंगी मुहब्बत की, घटा फिर छाएगी
हिमांशु बाजपेयी
बड भागण हरि हिवड़े लगाई ए
बड भागण हरि हिवड़े लगाई ए।पुण्य पुरबला म्हारा प्रगट भया, मधुर-मधुर सुर मुरली सुणाई ए॥
रानाबाई
ज़िल्ल-ए-सुब्हानी
संवेदना की सबसे महीन नस हरकत करने लगती है तबठीक उसी वक़्त ज़िल्ल-ए-सुब्हानी