पंडित बूझो सब्द बिचारी

panDit bujho sabd bichari

दरिया (बिहार वाले)

दरिया (बिहार वाले)

पंडित बूझो सब्द बिचारी

दरिया (बिहार वाले)

और अधिकदरिया (बिहार वाले)

    पंडित बूझो सब्द बिचारी।

    राजगुरू राजन्हि सीख कीन्हो बोझ लिए सिर भारी।

    जो जो खून करै वह राजा सो तोहरै ग्रिव डारी।

    जैसे बधिक सावज के मारे इमि करि काल पछारी।

    लोह के नाव पखान का भारा चले केवट जल हारी।

    बूड़त भौजल थाह ना पावे सीख करै नरनारी।

    नहिं परमारथ स्वारथ नीका आतम घात बिगारी।

    झूठ बचन मन मगन रहत है सत्त बचन है गारी।

    निगम नेति एह बिमल पुनीता रचि रचि बचन संवारी।

    गीता अरथ गुपुत करि राखहि मनि मत फंद पसारी।

    सतगुर सब्द सत्त एह मानहु बांधहु गांति संभारी।

    भौ के बीच कबहि नहिं बुड़िहौ दरिया कहै पुकारी॥

    पंडित! जो मैं कह रहा हूँ, विचारपूर्वक सुन। तू राजगुरु बनकर राजा को अपना शिष्य बनाता है तो उसके कर्मों का भारी बोझ तू अपने सिर पर लेता है। फिर तेरा शिष्य वह राजा, जो-जो हत्याएँ करेगा, वह कर्म तेरे सिर पर भी पड़ेंगी। काल तुझे वैसे ही पछाड़ेगा जैसे शिकारी अपने शिकार किए जाने वाले जानवर को मारता है। संसार-सागर में तेरी स्थिति, भारी पत्थरों से भरी हुई लोहे की नाव के समान होगी। पाखंडी गुरुरूपी मल्लाह संसार-सागर के बीच हार मानकर डूबने लगता है और कहीं भी थाह पाकर वह डूब जाता है। उसने बहुत से स्त्री-पुरुषों को शिष्य बना रखा है। वे भी संसार-सागर को पार नहीं कर पाते और उसी में डूब जाते हैं। हे पंडित! तूने तो अच्छी तरह से स्वार्थ ही साधा और ही परमार्थ कमाया, बल्कि ख़ुद अपना नाश करके सब कुछ बिगाड़ लिया। हम झूठी प्रशंसा की बातें सुनकर मन में ख़ुशी से मग्न रहते हैं, जबकि सच्ची बातें हमें गाली की तरह लगती हैं। जिस निर्मल और पवित्र परमात्मा को वेद अवर्णनीय कहते हैं और उसके बारे में अनेक प्रकार से सुंदर ढंग से कथन करते हैं, उन बातों को तो तू बताता ही नहीं। गीता के अर्थ को भी तू गुप्त रखता है और इस प्रकार अपने मन के अनुसार जाल फैलाता है। दरिया साहिब कहते हैं कि सतगुरु के बताए शब्द को ही सच मानकर इसे सँभालकर गाँठ बाँधनी चाहिए। तभी हम संसार-सागर के बीच कभी नहीं डूबेंगे।

    स्रोत :
    • पुस्तक : संत दरिया (बिहार वाले) (पृष्ठ 312)
    • संपादक : काशीनाथ उपाध्याय
    • रचनाकार : संत दरिया (बिहार वाले)
    • प्रकाशन : राधास्वामी सत्संग ब्यास, पंजाब
    • संस्करण : 2016

    संबंधित विषय

    Additional information available

    Click on the INTERESTING button to view additional information associated with this sher.

    OKAY

    About this sher

    Lorem ipsum dolor sit amet, consectetur adipiscing elit. Morbi volutpat porttitor tortor, varius dignissim.

    Close

    rare Unpublished content

    This ghazal contains ashaar not published in the public domain. These are marked by a red line on the left.

    OKAY

    जश्न-ए-रेख़्ता (2023) उर्दू भाषा का सबसे बड़ा उत्सव।

    पास यहाँ से प्राप्त कीजिए