मोहन राकेश के उद्धरण
न्याय, जो सदियों से नस्लों और परंपराओं का सामूहिक कृत्य है, यदि एक व्यक्ति के वर्तमान में रहने से अपने लिए आशंका देखता है, तो वह न्याय जर्जर और गलित आधार का न्याय है।
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