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कृष्ण बलदेव वैद के उद्धरण

हर इनसान असीर। कोई व्यतीत का, कोई वर्तमान का, कोई भविष्य का, कोई तीनों का। कोई पैसे का, कोई प्यार का। कोई घर का, कोई बाहर का। कोई शोहरत का, कोई अज़मत का। कोई ख़ुदा का, बहुत से इनसान बहुत-सी बीमारियों के असीर।

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