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यून फ़ुस्से के उद्धरण

भाषा हमारे विचारों को परिभाषित करती है, लेकिन मौन हमारी आत्मा को पोषण देता है।

जश्न-ए-रेख़्ता | 13-14-15 दिसम्बर 2024 - जवाहरलाल नेहरू स्टेडियम, गेट नंबर 1, नई दिल्ली

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