मुंबई के रचनाकार

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मराठी के समादृत कवि-लेखक और समालोचक। ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित।

सुपरिचित कवि-आलोचक और अनुवादक। 'अदृश्य हो जाएँगी सूखी पत्तियाँ', 'चाहे जिस शक्ल से' और 'रात-पाली' शीर्षक से तीन कविता-संग्रह प्रकाशित।

छठे दशक में सामने आए मराठी कवि, चित्रकार और संपादक। आधुनिक काव्यभाषा और शैली के लिए चर्चित।

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